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Prantiya Ganit-Vigyan Mela

Prantiya Ganit-Vigyan Mela

दिनांक :16 Oct 2022

सीवान , 17 अक्टूबर ( हि.स.)। लोक शिक्षा समिति, बिहार द्वारा महावीरी सरस्वती विद्या मंदिर, विजयहाता, सीवान में आयोजित तीन दिवसीय प्रांतीय गणित–विज्ञान मेले में उत्तर बिहार प्रान्त के 22 जिलों के 700 बाल वैज्ञानिक एवं बाल गणितज्ञ छात्र छात्राएं शामिल हुए हैं। गणित - विज्ञान मेला के पहले दिन 16 अक्टूबर की देर संध्या तीन प्रतियोगिताएं संपन्न हुई, जिसमे शिशु वर्ग के विज्ञान प्रश्नमंच में प्रथम स्थान शिशु मंदिर, बरवतसेना बेतिया , द्वितीय स्थान शिशु मंदिर मखदूमसराय सीवान एवं तृतीय स्थान शिशु मंदिर बिहारीगंज ने प्राप्त किया। वहीं शिशु वर्ग के ही वैदिक गणित प्रश्नमंच में प्रथम स्थान शिशु मंदिर बरवत सेना बेतिया , द्वितीय स्थान बलहा नारायणपुर एवं तृतीय स्थान शिशु मंदिर फारबिसगंज ने प्राप्त किया। उसी प्रकार बाल वर्ग संगणक (कंप्यूटर) प्रश्नमंच में प्रथम स्थान विद्या मंदिर महाराजगंज , द्वितीय स्थान विद्या मंदिर दर्शन नगर छपरा एवं तृतीय स्थान विद्या मंदिर, बरवतसेना बेतिया ने प्राप्त किया। गणित - विज्ञान मेला के दूसरे दिन सोमवार को उत्तर बिहार से आये सभी बाल वैज्ञानिकों के सारे प्रदर्श सुबह 8.30 बजे विधिवत प्रदर्शनी हेतु लगाए गए। सोमवार को संध्या तक यह प्रदर्शनी चलेगी। प्रदर्शनी का उद्घाटन महावीरी विद्यालय विजयहाता के संस्कृताचार्य मनोज पाठक द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच लोक शिक्षा समिति, बिहार के प्रदेश सचिव मुकेश नंदन एवं सह सचिव रामलाल सिंह ने किया। सीवान विभाग निरीक्षक राजेश कुमार रंजन तथा अन्य पूर्णकालिकों मिथिलेश सिंह, लोक शिक्षा समिति बिहार के प्रचार विभाग के मार्गदर्शक ललित कुमार राय, कृष्णा प्रसाद, प्रमोद ठाकुर, , रमेश चंद्र शुक्ला सहित सीवान के डॉक्टर शरद चौधरी, डॉक्टर राम इकबाल गुप्ता, विभिन्न बीएड कॉलेजों के प्राचार्यो आदि की उपस्थिति में यह संपन्न हुआ। प्रांतीय गणित - विज्ञान मेला के संयोजक धरणीकांत पाण्डेय ने बताया कि विज्ञान एवं गणित विषयों के आमंत्रित योग्य एवं अनुभवी निर्णायकों द्वारा निरीक्षण के पश्चात् बाल वैज्ञानिकों के अनेक विषयों में बनाए गए प्रदर्शों में से प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय घोषित किए जाएंगे। विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञों की इस निर्णायक टीम का सदस्य बनाया गया है। प्रदर्शनी शुभारंभ होने से पूर्व सभी निर्णायकों के साथ एक संक्षिप्त बैठक कर के लोक शिक्षा समिति, बिहार के प्रदेश सचिव मुकेश नंदन जी ने पारदर्शिता एवं निष्पक्षता को लेकर आवश्यक निर्देश दिये। इस अवसर पर महावीरी विद्यालय विजयहाता के प्राचार्य शंभु शरण तिवारी एवं महावीरी विजयहाता के विज्ञान एवं गणित सहित अन्य विषयों के आचार्य बंधु-भगिनी भी उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/ नवीन सिंह परमार

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 प्रधानाचार्यो की दो दिवसीय बैठक

प्रधानाचार्यो की दो दिवसीय बैठक

दिनांक :31 Jul 2022

समस्तीपुर,31 जुलाई (हि.स.)।विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान की उत्तर बिहार प्रांत इकाई लोक शिक्षा समिति, बिहार द्वारा संचालित एवं केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त उत्तर बिहार प्रांत के सभी विद्या भारती विद्यालयों के प्रधानाचार्यो की दो दिवसीय बैठक समस्तीपुर जिले के बटहा सुंदरी देवी सरस्वती विद्या मंदिर सैनिक स्कूल के सभागार में हुई। बैठक का उद्घाटन लोक शिक्षा समिति के प्रदेश सचिव मुकेश नंदन , सुंदरी देवी सरस्वती विद्या मंदिर सैनिक स्कूल बटहा के अध्यक्ष विनोद कुमार तथा बेगूसराय विभाग के जिला निरीक्षक कृष्ण कुमार प्रसाद ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्चन कर किया। इस मौके पर अतिथि परिचय एवं स्वागत भाषण विद्यालय के प्रधानाचार्य देवानंद दूरदर्शी के द्वारा किया गया, वहीं विषय प्रवेश कराते हुए जिला निरीक्षक कृष्ण कुमार प्रसाद ने विद्यालय के कुशल संचालन में प्रधानाचार्य की भूमिका के विभिन्न पहलुओं की चर्चा की। दो दिवसीय प्रधानाचार्य बैठक का उद्घाटन करते हुए प्रदेश सचिव मुकेश नंदन ने कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को विकसित देशों की पंक्ति में लाने के उद्देश्य में तभी सफल होगी जब संकल्प लेकर पूरे मनोयोग से कार्य किया जाय। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के भयावह दौर से गुजरने के वर्तमान सत्र के दृष्टिकोण से सीबीएसई बोर्ड का यह हमारा प्रथम परीक्षा फल है। आप सभी प्रधानाचार्यो के कुशल मार्गदर्शक में इस वर्ष का परीक्षा परिणाम बहुत ही शानदार रहा है। प्रदेश सचिव ने कहा कि उत्तर बिहार प्रांत में सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध कुल 17 विद्या भारती विद्यालय है । इस बार 12 वीं की परीक्षा उत्तर बिहार प्रांत के 06 विद्यालयों से कुल 417 भैया बहनों ने दी थी, जिनमें सभी ने परीक्षार्थीयों ने परीक्षा उत्तीर्ण की, और 19 परीक्षार्थियों को 90 प्रतिशत से ऊपर अंक प्राप्त हुए। उसी प्रकार उत्तर बिहार प्रांत के 16 विद्यालयों से कुल 2631 भैया बहन इस वर्ष 10 वीं बोर्ड की में सम्मिलित हुए, और सभी परीक्षार्थियों ने परीक्षा उत्तीर्ण की। वहीं 164 परीक्षार्थियों ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए। उन्होंने कहा कि आनेवाले समय में हमें और बेहतर परिणाम लाने है । हमे अपने भैया बहनों को मिलने वाले अंकों के प्रतिशतों में और सुधार करने की जरूरत है। इस मौके धन्यवाद ज्ञापन करते हुए विद्यालय के अध्यक्ष विनोद कुमार ने शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए ऐसे आयोजन की सराहना की। विभिन्न विद्यालयों के प्रधानाचार्यो द्वारा विद्यालय वृत्त भी प्रस्तुत किये गये। कार्यक्रम के आयोजन में छात्रावास अधीक्षक शैलेन्द्र मिश्र, घनश्याम मिश्र, संजय दास, रामबाबू दास,मान सिंह, सुमित कुमार, प्रवीण तिवारी, रामकुमार सिंह, विपिन कुमार विभूति,संजय कुमार, रामबाबू कुमार, शत्रुघ्न कुमार सिंह, रामबाबू कुमार, राहुल तिवारी, रिंकी कुमारी,निशा नन्हीं, पिंकी कुमारी आदि का सहयोग सराहनीय रहा। वहीं इस मौके पर बैठक के उद्देश्यों के संबंध में मीडिया से बातचीत करते हुए लोक शिक्षा समिति, बिहार के प्रचार विभाग के संरक्षक ललित कुमार राय ने बताया कि उत्तर बिहार प्रांत में सीबीएसई से मान्यता प्राप्त सभी विद्या भारती विद्यालयों के इस दो दिवसीय प्रधानाचार्य बैठक में हम अपने विद्यालयों में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन एवं विद्यालय विकास से संबंधित भविष्य के कार्य योजनाओं पर गहन विचार विमर्श करेंगे । बैठक में लोक शिक्षा समिति के पूर्णकालिक राजेश कुमार रंजन,ललित कुमार राय,मिथिलेश कुमार सिंह,रमेश चंद्र शुक्ल , अनिल राम, धरणीकांत पाण्डेय सहित उत्तर बिहार प्रांत के सीबीएसई से मान्यता प्राप्त विद्यालयों के प्रधानाचार्यों शामिल है। नवीन सिंह परमार

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  विद्या भारती के स्तम्भ लज्जाराम तोमर

विद्या भारती के स्तम्भ लज्जाराम तोमर

दिनांक :21 Jul 2022

विद्या भारती के स्तम्भ लज्जाराम तोमर ????भारत में लाखों सरकारी एवं निजी विद्यालय हैं; पर शासकीय सहायता के बिना स्थानीय हिन्दू जनता के सहयोग एवं विश्वास के बल पर काम करने वाली संस्था ‘विद्या भारती’ सबसे बड़ी शिक्षा संस्था है. इसे देशव्यापी बनाने में जिनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा, वे थे 21 जुलाई, 1930 को गांव वघपुरा (मुरैना, म.प्र.) में जन्मे श्री लज्जाराम तोमर. लज्जाराम जी के परिवार की उस क्षेत्र में अत्यधिक प्रतिष्ठा थी. मेधावी छात्र होने के कारण सभी परीक्षाएं उच्च श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने 1957 में एम.ए तथा बी.एड किया. उनकी अधिकांश शिक्षा आगरा में हुई. 1945 में वे संघ के सम्पर्क में आये. उस समय उ.प्र. के प्रांत प्रचारक थे श्री भाउराव देवरस. अपनी पारखी दृष्टि से वे लोगों को तुरंत पहचान जाते थे. लज्जाराम जी पर भी उनकी दृष्टि थी. अब तक वे आगरा में एक इंटर कालिज में प्राध्यापक हो चुके थे. उनकी गृहस्थी भी भली प्रकार चल रही थी. लज्जाराम जी इंटर कालिज में और उच्च पद पर पहुंच सकते थे; पर भाउराव के आग्रह पर वे सरकारी नौकरी छोड़कर सरस्वती शिशु मंदिर योजना में आ गये. यहां शिक्षा संबंधी उनकी कल्पनाओं के पूरा होने के भरपूर अवसर थे. उन्होंने अनेक नये प्रयोग किये, जिसकी ओर विद्या भारती के साथ ही अन्य सरकारी व निजी विद्यालयों के प्राचार्य तथा प्रबंधक भी आकृष्ट हुए. आपातकाल के विरोध में उन्होंने जेल यात्रा भी की. इन्हीं दिनों उनके एकमात्र पुत्र के देहांत से उनका मन विचलित हो गया. वे छात्र जीवन से ही योग, प्राणायाम, ध्यान और साधना करते थे. अतः इस मानसिक उथल-पुथल में वे संन्यास लेने पर विचार करने लगे; पर भाउराव देवरस उनकी अन्तर्निहित क्षमताओं को जानते थे. उन्होंने उनके विचारों की दिशा बदल कर उसे समाजोन्मुख कर दिया. उनके आग्रह पर लज्जाराम जी ने संन्यास के बदले अपना शेष जीवन शिक्षा विस्तार के लिए समर्पित कर दिया. उस समय तक पूरे देश में सरस्वती शिशु मंदिर के नाम से हजारों विद्यालय खुल चुके थे; पर उनका कोई राष्ट्रीय संजाल नहीं था. 1979 में सब विद्यालयों को एक सूत्र में पिरोने के लिए ‘विद्या भारती’ का गठन किया गया और लज्जाराम जी को उसका राष्ट्रीय संगठन मंत्री बनाया गया. उन्हें पढ़ने और पढ़ाने का व्यापक अनुभव तो था ही. इस दायित्व के बाद पूरे देश में उनका प्रवास होने लगा. जिन प्रदेशों में विद्या भारती का काम नहीं था, उनके प्रवास से वहां भी इस संस्था ने जड़ें जमा लीं. विद्या भारती की प्रगति को देखकर विदेश के लोग भी इस ओर आकृष्ट हुए. अतः उन्हें अनेक अंतरराष्ट्रीय गोष्ठियों में आमन्त्रित किया गया. उन्होंने भारतीय चिंतन के आधार पर अनेक पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें भारतीय शिक्षा के मूल तत्व, प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति, विद्या भारती की चिंतन दिशा, नैतिक शिक्षा के मनोवैज्ञानिक आधार आदि प्रमुख हैं. उनके कार्यों से प्रभावित होकर उन्हें कई संस्थाओं ने सम्मानित किया. कुरुक्षेत्र के गीता विद्यालय परिसर में उन्होंने संस्कृति संग्रहालय की स्थापना कराई; पर इसी बीच वे कैंसर से पीड़ित हो गये. समुचित चिकित्सा के बाद भी उनके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ. 17 नवम्बर, 2004 को विद्या भारती के निराला नगर, लखनऊ स्थित परिसर में उनका शरीरांत हुआ. उनकी अंतिम इच्छानुसार उनका दाह संस्कार उनके पैतृक गांव में ही किया गया.

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योग दिवस

योग दिवस

दिनांक :27 Jun 2022

उत्तर बिहार में विद्या भारती विद्यालयों के पचास हजार लोगों ने किया योगाभ्यास : रामलाल सिंह ????अष्ठम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर उत्तर बिहार प्रांत के विद्या भारती विद्यालयों में एक सप्ताह तक चलने वाले योग दिवस सप्ताह का समापन सोमवार को संपन्न हो गया। इस दौरान लोक शिक्षा समिति, बिहार के द्वारा संचालित किए जाने वाले वाले 186 विद्या भारती विद्यालयों में हुए अलग अलग आयोजनों में लगभग पचास हजार लोगों ने सार्वजनिक रूप से योगाभ्यास किया। सोमवार को लोक शिक्षा समिति, बिहार के सह प्रदेश सचिव रामलाल सिंह ने बताया कि विद्या भारती की योजना अनुसार उत्तर बिहार प्रांत में कुल 09 विभाग और 34 संकुल के अंतर्गत 186 विद्या भारती विद्यालय कार्यरत हैं। इस वर्ष अष्ठम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर हमारे विद्यालयों के कुल 36,185 छात्र - छात्राएं, जिनमें 22,913 छात्र और 13,185 छात्राओं ने सामुहिक योगाभ्यास किया है। प्रदेश सह मंत्री श्री सिंह ने बताया कि इस वर्ष के योग दिवस कार्यक्रम में विद्या भारती के तत्वावधान में उत्तर बिहार प्रांत में हमारे 1,824 आचार्य बन्धु - भगिनी, 4,188 अभिभावक बन्धु भगिनी , 540 प्रबंध समिति सदस्यों सहित 1187 अन्य लोगों ने योगाभ्यास किया है। उन्होंने कहां कि कुल मिलाकर इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह में उत्तर बिहार प्रांत के 186 विद्या भारती विद्यालयों के तत्वावधान में 43,837 लोगों ने सामुहिक रूप से योगाभ्यास किया है।

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sanskriti bodh pariyojna baithak

sanskriti bodh pariyojna baithak

दिनांक :16 Apr 2022

भारतवर्ष विश्वगुरु के पथ पर अग्रसर हो चुका है जिसमे विद्या भारती के चार आयाम का महत्वपूर्ण योगदान होने जा रहा है,उक्त उदबोधन विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के मा महामंत्री श्री अवनीश भटनागर जी ने सरस्वती विद्या मंदिर सादतपुर के सभागार में रखी।इस सभागार में लोक शिक्षा समिति बिहार के सभी मान्यताप्राप्त विद्यालयों के प्रधानाचार्य,समिति के मा अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष उपस्थित रहे।आज 16 अप्रैल2022 को तीन सत्रों में पूर्व छात्र,संस्कृति बोध परियोजना के सभी प्रमुख एवं सी बी एस ई से मान्यताप्राप्त प्रधानाचार्य के साथ मा प्रदेश सचिव श्री मुकेश नंदनजी,सहप्रदेश सचिव श्री रामलाल सिंह जी की गरिमामयी उपस्थिति रही।

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प्रंतीय प्रधानाचार्य सम्मेलन

प्रंतीय प्रधानाचार्य सम्मेलन

दिनांक :07 Feb 2022

प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय मंत्री शिव कुमार ने कहा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में विद्या भारती का पहला विद्यालय सरस्वती शिशु मंदिर प्रारंभ हुआ। आज 70 वर्षों में देश के अधिकांश प्रांतों में कुल 13 हजार विद्यालय खड़ा हुआ है। लगभग 36 लाख भैया बहन विद्या भारती के विद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं। 1लाख 52 हजार आचार्य प्रधानाचार्य एवं  13 लाख स्वावलंबी पूर्व छात्र हैं। 15 हजार निःशुल्क शिक्षण केंद्र संपूर्ण भारत में चल रहे हैं। आज नगरों और ग्रामों में, वनवासी और पर्वतीय क्षेत्रों में झुग्गी-झोंपड़ियों में, शिशु वाटिकाएं, शिशु मंदिर, विद्या मंदिर, सरस्वती विद्यालय, उच्चतर शिक्षा संस्थान, शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र और शोध संस्थान हैं। इन सरस्वती मंदिरों की संख्या निरंतर बढ़ रही है और आज विद्या भारती भारत में सबसे बड़ा गैर सरकारी शिक्षा संगठन बन चुका है। 1952 में संघ प्रेरणा से कुछ निष्ठावान लोग शिक्षा के पुनीत कार्य में जुटे। राष्ट्र निर्माण के इस कार्य में लगे लोगों ने नवोदित पीढ़ी को सुयोग्य शिक्षा और शिक्षा के साथ संस्कार देने के लिए “सरस्वती शिशु मंदिर” की आधारशिला गोरखपुर में पांच रुपये मासिक किराये के भवन में पक्की बाग़ में रखकर प्रथम शिशु मंदिर की स्थापना से श्रीगणेश किया। आज शिशु विद्या मंदिर संपूर्ण देश में वट वृक्ष के तरह फैला हुआ है। बालक ही हमारी आशाओं का केंद्र है. वही हमारे देश, धर्म एवं संस्कृति का रक्षक है. उसके व्यक्तित्व के विकास में हमारी संस्कृति एवं सभ्यता का विकास निहित है. आज का बालक ही कल का कर्णधार है. बालक का नाता भूमि एवं पूर्वजों से जोड़ना, यह शिक्षा का सीधा, सरल तथा सुस्पस्ट लक्ष्य है. शिक्षा और संस्कार द्वारा हमें बालक का सर्वांगीण विकास करना है.

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